मैंने एक भाभी के साथ किया हॉट सेक्स इन होटल रूम. ट्रेन की भीड़ में एक जवान सुंदर भाभी से मेरा मिलन हुआ, दोनों जिस्म गर्म हुए. फिर यह गर्मी फिर होटल में ही शांत हुई।
दोस्तो, मेरा नाम गौरव सिंह (बदला हुआ) है।
मेरी उम्र 25 वर्ष, कद 5 फीट 11 इंच, रंग सांवला है। मैं औसत बनावट वाले शरीर का युवक हूं और अयोध्या का रहने वाला हूं।
एक कंपनी में मैं अकाउंटेंट के रूप में काम करता हूं।
मैं अंतर्वासना का नियमित पाठक हूं तथा मैं हॉट सेक्स इन होटल रूम की एक सत्य घटना आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
मेरी कंपनी का हेड ऑफिस कानपुर में है जिस कारण हर तीसरे महीने मुझे कानपुर जाना पड़ता है।
बात आज से लगभग 4 वर्ष पहले अक्टूबर माह की है जिस समय ना तो अधिक गर्मी होती है और ना ही अधिक सर्दी।
सर्दी मेरी नजर में सबसे अच्छा मौसम है। लखनऊ से कानपुर जाने के लिए लोकल ट्रेनें चलती हैं।
मगर लोकल में अधिक समय लगने के कारण मैं एक्सप्रेस ट्रेन लेना पसंद करता हूं।
एक्सप्रेस ट्रेन में केवल 1 या 2 जनरल डिब्बे होते हैं जिस कारण उनमें बहुत भीड़ होती है।
जब मैं स्टेशन पहुंचा तो सुबह के 8:00 बज रहे थे; ट्रेन आने ही वाली थी।
मुश्किल से 5 मिनट बाद ही ट्रेन आ गई और मैंने देखा कि अंदर बहुत ही ज्यादा भीड़ थी तो फिर भी मैं भी जैसे तैसे अंदर घुस गया।
तो जब मैं अंदर घुसा तो सबसे पहले मैंने अपना बैग उतारा और उसे लैगेज रैक पर रख दिया।
फिर मेरी नजर गैलरी में सामने खड़ी एक भाभी पर पड़ी।
सबकी निगाहें उस पर ही थीं।
उसका सौंदर्य बिना कुछ कहे ही अपनी कहानी बता रहा था।
उसकी उम्र लगभग 28-29 वर्ष, रंग गोरा, कद लगभग साढ़े 5 फीट होगा।
गदराया हुआ शरीर, बड़े बड़े उभरे हुए मम्में, सुडौल पट, बहुत ही सुंदर नयन-नक्श, गोरे सेब जैसे गाल एवं काले लंबे बाल।
मैं बिना कुछ किए ही उसकी तरफ खिंचा चला जा रहा था।
धीरे धीरे करके मैं उसके सामने पहुंचा तो मैंने देखा कि उसका साइज़ 34-30-34 का था, उसका रंग गोरा और उस पर उसके काले बाल गजब ढहा रहे थे।
उसका सुंदर सा माथा और उस पर एक छोटी सी लाल बिंदी थी। तिरछे बड़े बड़े दीयाली के समान नैन, सीधी पतली सी सुडौल नाक मानो पगडंडी थी।
उसके गुलाबी रंग के पतले पतले होंठ, लग रहा था जिससे काम रस की वर्षा हो रही हो।
उसके सेब जैसे लाल गाल देख कर तो उनको खाने का मन कर रहा था।
सुराही के समान सुंदर लंबी गर्दन थी जो उसकी सुंदरता में चार चांद लगा रही थी।
उसकी बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों पर उसका ब्लाऊज का हुक बिल्कुल टूटने को ही लग रहा था।
मैंने देखा कि उसके साथ उसकी सास भी थी जो एक वृद्ध महिला थी और सही से खड़ी नहीं हो पा रही थी।
तो मैंने उनसे नीचे बैठ जाने को कहा।
मगर उन्होंने भीड़ का हवाला देकर बैठने में असमर्थता जताई, तो मैंने थोड़ी जगह बनवाकर उन्हें नीचे बिठवा दिया।
उनके नीचे बैठने से मैंने पाया कि उस भाभी या कहें स्वपन सुंदरी को चारों तरफ से सब अपने जिस्म से छुआ रहे थे और उसके जिस्म की खुशबू को सूंघ रहे थे।
युवती गैलरी के बीचों बीच में खड़ी थी और उसके चारों तरफ भेड़ियों का झुंड था जो उसे खा जाना चाहते थे।
दादी के बैठने से मैं उसकी कमर को भी साफ देख सकता था जो केले के तने के समान सी आकार की मनमोहक एवं कामुक कर देने वाली थी।
चूंकि मैं उस स्वप्न सुंदरी के सामने खड़ा हो गया था तो उसके चहरे के भावों को आसानी से पढ़ सकता था जिसमें उसकी बेबसी साफ नजर आ रही थी।
वो कभी अपनी सुंदर सी केले के तने के समान कमर को लहराती तो कभी अपनी सुंदर उंगलियों से अपने बालों को संवारती।
उसका यह कृत्य मनमोहक एवं हृदय भावी लग रहा था।
वह उन आदमियों से अपने आप को बचा रही थी और वो सब उसे ऐसे लपक रहे थे मानो फुटबॉल का गेम चल रहा हो और सब बॉल पर कब्जा करना चाह रहे हों।
मैंने बहुत ही हिम्मत जुटाकर उसे मेरी साइड आकर दीवार का टेक लेकर खड़े होने के लिए आग्रह किया जिसे उसने सहर्ष स्वीकार किया।
वहां खड़े होने से उसे कुछ राहत मिल सकती थी और वो काफी देर से किनारे होने की कोशिश कर रही थी।
अब वो मेरे बगल में खड़ी थी मगर हम दोनों में उचित दूरी थी।
मेरा मन तो कर रहा था कि जाकर उससे चिपक जाऊं लेकिन अपने आप को मैंने काबू किया।
फिर हम दोनों बात करने लगे तो उसने बताया कि वो कानपुर की रहने वाली है और रिश्तेदार की शादी से वापस घर लौट रही है।
उसके पति काम की वजह से पहले ही घर लौट चुके थे जिस वजह से उन दोनों को अकेले ट्रेन से जाना पड़ रहा था।
उसने अपना नाम अंजलि बताया।
धीरे धीरे बात करते करते गाड़ी लखनऊ स्टेशन पर पहुंचने को हो गई।
तो किसी के उतरने से एक सीट खाली हो गई जिस पर मैंने देर ना करते हुए दादी को बैठा दिया।
लखनऊ स्टेशन पर तो इतनी ज्यादा भीड़ अन्दर आ गई और ट्रेन एकदम खचाखच भर गई।
भीड़ ज्यादा होने से सभी के बीच में दूरियां कम हो गईं और हम जो पीठ का टेक लगाकर खड़े थे, हमें कंधे के सहारे होना पड़ा।
इस कारण उसकी पीठ और मेरा सीना एक दूसरे से चिपक गए, उसके शरीर के संपर्क में आने पर मेरे रोम रोम में बिजली दौड़ गई।
मैं बिल्कुल भी न हिलते हुए जस का तस खड़ा रहा कि वो विरोध ना कर दे।
फिर उसने पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखा और एक स्माइल दे दी।
मुझे ये ग्रीन सिग्नल लगा तो मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी गदरायी जांघों पर रख दिया, जिसका अहसास होने पर भी उसने कोई विरोध नहीं किया।
अब मैंने हिम्मत करके उसकी हथेली पकड़ ली और धीरे धीरे से उस पर उंगलियां फिराने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया और खुद भी मसलने लगी।
मैंने एक हाथ को उसकी हथेली से छुड़ाकर उसकी कमर पर रख दिया।
उसकी माखन सी कोमल कमर को स्पर्श कर मेरा लंड सलामी देने लगा और कठोर होकर बाहर निकलने के लिए जीन्स को फाड़ने को तैयार हो गया।
मैं उसकी कमर से होते हुए उसके प्यारे से पेट पर हाथ फिराने लगा तो वो बेकाबू होने लगी और मचलने लगी।
फिर मैंने धीरे धीरे से उसे थोड़ा और घुमाया और इस बात का भी ध्यान रखा कि कोई और देख न ले।
अब मैंने ध्यान दिया तो उसके मखमली से गद्देदार बाहर को निकले हुए नर्म मुलायम चूतड़ मेरे लन्ड के ऊपर थे।
उनका संपर्क पाकर मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो गया और अंजलि की सांसें तेज हो गईं।
मैंने लंड को वहीं पर टिकाए रखा और धीरे धीरे से उसके पेट एवं कमर पर हाथ फिराना जारी रखा।
धीरे-धीरे मैंने उसके कोमल बदन पर स्पर्श जारी रखा और उसकी मखमल की चिकनाई में डूब सा गया।
मुझे होश ही नहीं रहा कि मैं भीड़-भाड़ में दबा हुआ हूं।
मुझे तो बस वह नजर आ रही थी।
जैसे वह मेरी बाहों में और मैं उसके ऊपर!
धीरे-धीरे मैं अपना हाथ रगड़े जा रहा था।
इसी तरह कुछ देर के बाद मैं अपने हाथ को धीरे धीरे उसकी चूचियों के ऊपर ले गया।
उसकी चूचियां एकदम सुडौल और रस से भरी हुई थीं। मानो एक बार दबाने से ही अमृत की वर्षा होने लगेगी।
ऐसा लग रहा था मानो गाय दूध देने के लिए बस तैयार हो।
मैंने उसकी चूचियों पर हाथ फिराते हुए एक बार कसकर दबा दिया।
मेरा दबाव इतना तेज था कि वो चिहुंक उठी।
उसके मुंह से आआह … की सिसकारी निकल गई।
इसे सुनकर मैं घबरा गया और तुरंत अपना हाथ हटा लिया।
फिर मैंने देखा कि उसकी सिसकारी सुनने वाला कोई नहीं था वहां।
ट्रेन की आवाज काफी ज्यादा थी।
मैंने उसको आवाज करने से मना किया और धीरे धीरे उसकी चूचियों की गोलाइयों को नापते हुए दबाने लगा।
फिर मैंने देखा कि उसने अपने हाथ को कमर के पीछे लाते हुए मेरे लंड पर रख दिया।
उसकी इस हरकत से मेरे रोम रोम में वासना तैर गई।
मुझे लगा जैसे मानो मैं जन्नत में पहुंच रहा हूं।
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मेरे लंड को धीरे-धीरे दबाने से वो कड़क होता जा रहा था और जींस फाड़ देने को तैयार था।
अंजलि की गद्देदार गांड अभी भी मेरी जांघों को स्पर्श कर रही थी।
ऐसे ही करते करते कानपुर स्टेशन आने को हो गया।
तब मैंने उसे अपना मोबाइल नंबर दिया।
फिर मैंने भी अपने लंड को ठीक किया जो बिल्कुल फनफ़ना उठा था।
कानपुर स्टेशन पर गाड़ी रुक चुकी थी और मैंने दादी से चलने को कहा।
बाहर आकर दादी ने मुझे थैंक यू कहा और मैंने उन्हें विदा कहा।
वे दोनों ऑटो से चली गयी और मैं भी ऑटो पकड़ कर अपने ऑफिस के काम के लिए जाने लगा।
फिर मैंने फोन निकालकर अंजलि को कॉल किया।
अंजलि ने फोन उठाया तो मैंने उसे बताया कि मैं आज ऑफिस का काम निपटा लूंगा और शाम को यहीं रुक कर कल सुबह घर वापसी के लिए निकलूंगा।
मैंने उसे शाम को मिलने के लिए प्रपोजल दिया।
उसने कहा कि शाम को पति घर पर रहेंगे और ये कह कर उसने आने से मना कर दिया।
फिर मैंने आज ही मिलने की जिद की तो उसने साफ मना कर दिया।
मगर वो अगले दिन सुबह मिलने को तैयार हो गई।
मैंने जैसे तैसे ऑफिस का काम निपटाया और दिन भर उसी के बारे में सोचता रहा।
शाम को मैंने स्टेशन के समीप ही एक होटल में रूम ले लिया और आराम करने लगा।
उसके जिस्म की खुशबू को याद करते करते मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह जब उठा तो देखा कि सुबह के 8:00 बज रहे थे।
मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता ऑर्डर किया।
इन सबके बाद लगभग 9:30 बज रहे थे तो मैंने अंजलि को कॉल किया।
उसने तुरंत फोन उठाया और बोली- क्या तुम रात भर सोए नहीं जो तुरंत ही फोन कर दिया?
मैंने कहा- तुम्हारी याद ने मुझे सोने ही नहीं दिया।
उसने होटल का एड्रेस लिया और 1 घंटे बाद आने को कहा।
मुझसे अब इंतजार नहीं हो रहा था।
लगभग 1 घंटे बाद वो आई।
उसने स्काई ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। ऐसा लग रहा हो जैसे सोन पक्षी हो।
आसमानी रंग की साड़ी में वह बला की सुंदर लग रही थी।
उसकी साड़ी के पीछे से झांकता हुआ उसका सुंदर गदराया हुआ बदन मानो पुकार पुकारकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा हो।
कमरे में प्रवेश करने पर मैंने उसको कॉफी और स्नैक्स ऑफर किए जो मैंने पहले से ही मंगवा रखे थे।
वो बोली- तुमने एक कॉफी क्यों मंगवाई है?
मैंने कहा- मैंने तो बस अभी पी थी।
फिर उसने अपने गुलाब की पखुड़ियों के समान होंठों को कप पर रख दिया और इतनी जोर से सिप ली कि उसकी लिपस्टिक का निशान कप पर लगा रह गया।
उसने कामुकता भरे अंदाज में अपने एक होंठ से दूसरे को काटते हुए कप मुझे पकड़ा दिया।
मैंने वो कप अपने हाथ में लिया और प्यार से उसके लिपस्टिक के निशान पर से चूम लिया और फिर कप को चूसने लगा।
इस पर उसने मेरे हाथ से कप को छीन कर अपने गर्म गुलाबी और नर्म होंठ मेरे होंठों से लगा दिए।
हमारे बीच चुम्बन पहली बार हो रहा था।
मुझे तो लगा मैंने अपने होंठ गर्म कॉफी पर रखे हुए हैं, और उसके होंठों को चूसते हुए उसका रस पिए जा रहा था।
हमने लगातार 5 मिनट तक एक दूसरे को किस किया और फिर एक दूसरे से अलग हुए।
मैं उसको ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था।
मैंने उसे दोबारा से अपनी तरफ खींच कर किस करना शुरू कर दिया।
किस करते करते मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए और उन्हें दबाने लगे।
फिर मैंने उसकी साड़ी उतारकर उसके बदन से अलग कर दी।
अब वो मेरे सामने केवल ब्लाऊज और पेटीकोट में थी।
मैंने देर न करते हुए उसका ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार दिया।
अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैंटी में थी।
मैंने उसको देखा तो उसके मम्में जो पहले 34 के लग रहे थे, ब्रा में साफ तौर पर 36 के थे।
उसकी चूचियां आजाद होने की गुहार लगा रही थीं।
तो मैंने भी एक झटके में चूचियों को आजाद कर दिया। अब वो कबूतर पंख फड़फड़ाते हुए मेरे सामने उछल रहे थे।
मैंने उन्हें अपने हाथों में लिया तो वो एकदम रस भरे संतरे के समान लग रहे थे।
उसकी गर्दन से होता हुआ मैं उसकी चूचियों का रसपान करने लगा और मैं उसके सिंदूरी लाल रंग के निप्पल्स को ऐसे चूस रहा था मानो उससे दूध निकल ही आएगा।
मैं उसकी चूचियों का पूरा दूध पी जाना चाहता था।
मैंने दबाकर उसके मम्मों को एकदम लाल कर दिया था।
फिर मैंने मम्मों का रसपान करते हुए उसको उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी चूचियों से होता हुआ मैं उसके पेट को किस करने लगा।
वो लगातार सिसकारियां ले रही थी और आह्ह … ओह … जैसी मादक आवाजें निकाल रही थी।
उसके पेट को किस करते हुए मैंने अपने दांतों से उसकी पैंटी की इलास्टिक पकड़ी और उसे नीचे करने लगा जो अंजलि के सहयोग से नीचे उतर गई।
अंजलि अब नग्न अवस्था में मेरे नीचे थी.
मैंने उसकी योनि को देखा तो वो एकदम सुर्ख लाल रंग की इलायची के दाने के जैसी थी।
उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था; लग रहा था कि सुबह या रात में ही जैसे झांटें बनाई हों उसने!
मैंने उसकी योनि पर अपने लब टिकाए और उसे चूसने लगा।
वो मस्त मादक सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … सस्स् … ओह्ह … आऊऊच … आह्हा।
मस्त कामुक आवाजें करते हुए वो बेड पर इधर उधर छटपटा रही थी।
मैंने उसकी योनि को चूस चूसकर गीला कर दिया।
फिर उसने मुझे उठाया और मेरे होंठों को किस करने लगी और अपने दांतों से काट लिया।
उसने मेरी टीशर्ट उतारी और मेरी गर्दन पर किस करते हुए मेरी छाती को चूमने लगी।
उसने बेल्ट पर हाथ रखा और बेल्ट एवं जीन्स का बटन खोलते हुए मेरी जींस की चेन खोल दी।
मैंने होटल में नहाने के बाद अंदर अंडरवियर नहीं पहन रखी थी।
जींस की चेन खोलते ही मेरा लंड एकदम से बाहर हो गया।
दोस्तो, आपको बता दूं कि मेरे लंड का साइज 6 इंच का है। मैं 8 इंच का बताकर झूठ नही बोलूंगा, क्योंकि इंडिया में कॉमन साइज 5 इंच है, तो मेरा नॉर्मल से बड़ा ही है।
मेरे लंड का साइज देखते ही उसने कहा- ये 6 इंच का है ना?
मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता?
तो उसने बताया- मेरे पति का भी इतना ही है।
फिर उसने मेरे लंड को दबाते हुए हाथ से आगे पीछे किया और अपनी कमर को झुकाते हुए मेरा पूरा लंड अपने मुंह में लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।
वो मेरे लंड को चूसते हुए बीच बीच में उसे दांतों से दबा देती थी, जिससे मुझे दर्द होता था लेकिन मजा भी आता था।
5 मिनट की चुसाई के बाद उसने मेरे लंड को छोड़ा।
अब आप सोच रहे होंगे कि मैंने 69 की पोजिशन क्यों नहीं ली … क्योंकि 69 की पोजिशन जल्दी के लिए होती है और जो मजा धीरे धीरे आनंद लेने में है वो जल्दबाजी में कहां?
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी योनि में अपने दूसरे हाथ की एक उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
फिर धीरे धीरे उसमे दो उंगलियों से चुदाई करने लगा।
इतने में उसकी योनि ने पानी छोड़ दिया और मैंने उसे अलग करते हुए अपना लंड उसके मुंह में दे दिया और उसके मुंह की चुदाई करने लगा।
अब मेरा लंड एकदम सख्त और तैयार हो गया था। मैंने देर ना करते हुए अपने पर्स से कॉन्डम निकाला और मैं अपने लंड पर कॉन्डम चढ़ाकर चुदाई के लिए तैयार हो गया।
मैंने उसे सीधा लिटाकर उसके नर्म मुलायम गद्देदार चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर सेट कर दिया।
उसकी चूत लंड का आलिंगन कर रही थी।
उसकी चूत पर मैं अपने लंड को रगड़ने लगा।
ऐसा करने से वो व्याकुल होने लगी और जल्दी लंड डालने का आग्रह करने लगी।
अब मैंने थोड़ी देर मस्ती करने के बाद एक जोर का झटका दिया और लंड एक बार में ही सीधा अंदर कर दिया।
झटका इतना जोरदार था कि उसके मुंह से चीख निकल गई और वो दर्द से कराहने लगी।
वो कराहते हुए कहने लगी- आह्ह … बाहर निकालो … प्लीज बाहर निकालो।
मगर मैंने लंड को बाहर न निकालकर वैसे ही अंदर डाले रखा।
फिर मैंने अपने हाथों को उसकी चूचियों पर रख कर अपने होंठों को उसके होंठों से मिला दिया और किस करते करते चूचियों को दबाने लगा।
धीरे धीरे मैं लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा।
अब उसे मजा आने लगा तो मैंने भी स्पीड बढ़ा दी।
मैं तेजी में लंड को आगे-पीछे करने लगा।
अब उसकी चीखें सिसकरियों में बदल गईं थीं।
वो मस्ती में सिसकारने लगी- ओह माई गॉड, येस … आआह्ह ओह … अम्म … फक मी हार्ड … आह्ह चोद दो।
करीब 5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने लंड को बाहर निकाला और अंजलि को उठाकर घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया।
मैं लंड को तेजी से अंदर बाहर करने लगा और जोरदार झटके देने लगा।
उसके मुंह से मादक मादक सिसकारियां निकल रही थीं, जिसे सुनकर मुझमें और जोश आ रहा था।
फिर मैंने अंजलि को उठाया और खुद बिस्तर पर लेट गया। मैंने अंजलि को मेरे लंड पर बैठने को कहा.
अब वो मेरे लंड पर उचक रही थी।
करीब 15 मिनट की भीषण चुदाई के बाद मेरा लंड स्खलित होने को था, तब तक अंजलि पहले ही झड़ चुकी थी।
मैंने अंजलि से कहा कि मेरा होने वाला है तो उसने कहा कि कोई बात नहीं, कॉन्डम तो है ही, आखिरी सांस तक चुदाई चलेगी।
मैंने कहा- वीर्य बेकार चला जाएगा.
इसलिए मैंने अंजलि को पीने का आग्रह किया।
उसने मेरा निवेदन स्वीकार कर लिया। उसने मेरे लंड पर से कॉन्डम उतार कर उसको मुंह में ले लिया और चूसने लगी।
उसने मेरे वीर्य की एक एक बूंद तक पी ली और पूरा लंड चूस कर साफ़ कर दिया।
फिर उठ कर वो बाथरूम में नहाने चली गई। मैं भी पीछे से उसके साथ चला गया।
वो शॉवर ऑन करके नहा रही थी तो मैंने पीछे से उसको गले लगाते हुए उसकी गर्दन पर किस किया।
मैंने साबुन उठाया और उसकी पीठ पर लगाने लगा। पीठ पर साबुन लगाने के बाद मैं उसकी चूचियों पर साबुन लगाते हुए उसकी चूचियां चूसने लगा।
उसके बाद मैंने उसको बाथरूम की दीवार से सटाते हुए साबुन उसकी चूत में लगाने लगा।
उसकी मखमली गांड देख कर मेरा मन बार बार डोल रहा था।
मगर उसने गांड चुदवाने के लिए अभी साफ तौर पर मना कर दिया और मैं जोर जबरदस्ती करके किसी काम को नहीं करता।
इसलिए मैंने उसकी बात एक बार में ही मान ली।
इतनी देर में मेरा लंड फिर से तैयार हो गया था और अंजलि की चूत उसका अलिंगन करने को उत्सुक थी।
मैंने देर न करते हुए अंजलि के बाएं पैर को थोड़ा ऊपर उठाया और लंड को चूत पर सेट करके अंदर बाहर करने लगा।
ऊपर से शॉवर का गिरता पानी और नीचे से चुद रही अंजलि की सांसें दोनों ही माहौल को गर्म कर रहे थे।
कुछ ही देर बाद वो मस्ती में आहें भरते हुए चुदने लगी।
दोनों चुदाई की बारिश का मजा लेने लगे।
10 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसे नीचे किया और अपना लंड उसके लबों पर रख दिया जिसे उसने आइसक्रीम की तरह चूस चूस कर पूरी क्रीम खा ली।
फिर हम दोनों अलग हुए और अपने कपड़े पहने।
उसके बाद एक दूसरे को प्यारा सा चुम्बन देते हुए हमने एक दूसरे को अलविदा कहा।
हॉट सेक्स इन होटल से वो बहुत खुश थी और मैं भी!
दोस्तो, यही थी मेरी कहानी।
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देसी अश्लील आर्केस्ट्रा सेक्सी वीडियो