जवान लड़कों से चूत गांड फटवायी-2

मैंने किया सेक्स विद बॉस इन ऑफिस! मैं लोकल बस में चार लड़कों से अपने जिस्म को मसलवा कर दफ्तर पहुंची तो मेरी अन्तर्वासना उफान पर थी.

हिंदी कहानी के प्रथम भाग
सेक्स लाइफ में कुछ नया करने की चाहत
में आपने पढ़ा कि मेरा मन चलती बस में कुछ कामुक हरकत करने का हुआ तो मैं लोकल बस में चढ़ गयी. कुछ लड़कों ने मेरे साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दी.
मैंने भी उनको करने दिया. फिर चुदाई की सेटिंग भी कर ली, अपने घर का पता उनको दे दिया.

मेरा स्टाप आ गया और मैं उतरने लगी.

जाते जाते मैंने उनको देखकर आंख मारी और उनकी तरफ स्माइल करके उतर गई.

फिर मैं अपने ऑफिस चली गई.

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अब आगे सेक्स विद बॉस इन ऑफिस:

अब ऑफिस जाकर काम करने का मन तो कर नहीं रहा था क्योंकि मेरी चूत से हल्का हल्का पानी भी टपक रहा था, पेंटी गीली हो चुकी थी।

मैं 1 ब्रा और पेंटी को हमेशा अपने बैग में रखती हूँ.
मैंने बाथरूम जाकर उस पेंटी को पहन लिया और मैं आकर बैठ गई.

ऑफिस में सभी लोग मुझे घूर घूर कर देख रहे थे क्योंकि मेरी टॉप में से मेरे बूब्स के निप्पल साफ दीखाई दे रहे थे.

तभी वहां पर मेरे बॉस आ गए जो कि मुझे पहले भी कई बार चोद चुके थे.
उन्होंने आते ही सब की नजर बचाकर मेरे बूब्स दबा दिए.

मैंने उनको गुस्से से देखा तो वे मुस्कुरा दिए और मुझे अंदर आने को बोला.

मैं काम का बहाना लेकर 1 फाइल लेकर उनके केबिन में गई.
वहां देखा तो वे बहुत नॉर्मल ही अपने कुर्सी पर बैठे हुए थे.

जैसे मैं उनके पास गई, मैं हैरान रह गई क्योंकि वे नीचे से एकदम नंगे थे.
उन्होंने अपनी पेंट पैरों के नीचे उतार रखी थी लेकिन सामने देखने वाले को वैसा ही लगेगा कि वह बिल्कुल नॉर्मल तरीके से बैठे हैं.

तभी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और मुझसे बोले- मेरी जान, मेरा लंड सहला!
मैं उनका लंड देखकर गर्म हो गई क्योंकि मेरी चूत से पहले ही पानी बह रहा था.

वैसे तो गर्म मैं पहले से ही थी लेकिन उनका लंड देखकर तो मेरी चूत में आग सी लग गई.
मैंने उनका लंड हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया.

अब उन्होंने धीरे-धीरे मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिये.
क्योंकि वे मेरे कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहे थे इससे मेरे कपड़ों पर सिलवटें पड़ सकती थी तो मैंने उनको रोक दिया.

तभी उन्होंने मेरी टीशर्ट को ऊपर उठाया और देखा मैंने ब्रा नहीं पहनी है.
तो मुझसे बोले- साली किससे मजा लेकर आई है?
मैंने गुस्से से बोला- तुम्हें इससे क्या … तुम अपना काम करो।

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मेरी बात सुनकर बॉस चुप हो गए.
उन्होंने मुझे नीचे बैठा दिया और अपनी डेस्क की नीचे कर दिया ताकि किसी भी आने वाले को पता ही ना चले कि मैं कहां बैठी हूं.
और उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया.

मुझे उनका लंड चूसने में बहुत मजा आता था तो मैंने उनका लंड चूसना शुरू कर दिया.
अब उनके मुंह से आह आह आह की आवाजें बहुत निकल रही थी.

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मुझे खड़ी किया और अपने अंदर वाले केबिन में ले गए जहां पर किसी को भी आने की परमिशन नहीं थी.

केबिन में जाते ही उन्होंने झट से अपने कपड़े उतार दिए और मुझे भी नंगी कर दिया.

उनका लंड चूसकर मेरी चूत तो पहले से ही बहुत गर्म हो गई थी तो मैंने उन्हें पकड़कर किस करना शुरू कर दिया और उनके हाथ अपने चूतड़ों पर रखवा दिए.
अब वे मेरी चूत और जोर जोर से दबा रहे थे और मेरी गर्दन पर किस किए जा रहे थे.

अब मुझसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था तो मैं घोड़ी बन गई और उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी.
लेकिन वे मुझे तड़पा रहे थे, वे बार-बार मेरी चूत में से अपना लंड निकाल रहे थे जिससे मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था.

तो मैंने उनके टट्टे पकड़ लिए और हल्के से दबा दिए.
उनकी चीख निकली लेकिन फिर वे हंसते हुए बोले- मेरी जान, तेरी यही अदा तो मुझे बहुत पसंद है … तू लंड लेने के लिए हमेशा तैयार रहती है.

तभी उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में सेट किया और एक झटके में पूरा उतार दिया.
मेरे मुंह से हल्की सी आह निकली लेकिन मैं उनका लंड में पहले भी कई बार ले चुकी थी इसलिए मुझे बहुत ज्यादा दर्द नहीं हुआ.

मेरे बॉस बहुत जोर जोर से झटके मारने लगे और लगभग 10 मिनट बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड के छेद पर रख कर एक झटके में पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया.

क्योंकि मैं खुद गांड में लंड लेने के आदी हो चुकी थी इसलिए मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ बल्कि मजा ही आया.

फिर उन्होंने आगे से मेरे बूब्स पकड़े और मुझे घोड़ी की तरह चोदना शुरू कर दिया और लगभग 10 मिनट मेरी गांड मारने के बाद उन्होंने अपना सारा पानी मेरी गांड के अंदर डाल दिया.

फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में पकड़ लिया. वे मुझे किस करने लगे और थोड़ी देर उनकी बांहों में ऐसे ही लेटकर मैंने अपने कपड़े पहने शुरू कर दिए.
वे नंगे लेटे लेटे ही मुझे कपड़े पहनते हुए देखने लगे.

मैंने जैसे ही अपनी पैंटी पहनी … उन्होंने आकर मेरी पैंटी उतार दी और मेरी चूत में अपनी दो उंगली डाल दी जिससे कि मेरी आह निकल गई.

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तो मैंने उनको घर्र कर देखा.
वे मुस्कुरा दिए और बोले- मेरी जान, अब पेंटी पहन लो.

मैंने पेंटी पहन ली और अपनी ड्रेस पहन कर अपने आप को थोड़ा साफ सुथरा करके मैं बाहर आ गई.

मेरी चूत की आग थोड़ी सी तो शांत हो गई थी लेकिन रात को होने वाली चुदाई से मेरे मन में एक अजीब सी खुशी हो रही थी.

शाम को 4:00 बजे के करीब मैंने सोचा कि मुझे घर जाना चाहिए क्योंकि जाकर चुदाई की तैयारी भी करनी थी.
तो मैंने जाकर अपने बॉस से बोला- मुझे घर जाना है.
उन्होंने बिना कोई सवाल किए मुझे घर जाने के लिए बोल दिया.

फिर मैंने सोचा कि अब जाते-जाते थोड़ा सा मजा और लिया जाए.
तो मैंने बाथरूम में जाकर अपनी पेंटी उतार कर अपने बैग में रख ली और मैं ऐसे ही बिना ब्रा और पेंटी के जाने लगी.

थोड़ी देर बस स्टैंड पर खड़ी रहने के बाद सुबह की तरह ही हुआ कि मुझे बस तो मिली लेकिन उसमें बहुत ज्यादा भीड़ थी.
अब मुझे डर भी नहीं लग रहा था बल्कि मैंने सोचा कि इसी बस में चढ़ जाती हूं, ज्यादा मजा लेने का चांस मिलेगा.

तो मैं तेज घुसते घुसाते उस बस में पहुंच गई.
मैं अब बस में अंदर आ चुकी थी और इंतजार कर रही थी कि कोई जवान मर्द आये और मेरे बूब्स और मेरी चूत चूतड़ों को ढंग से मसले.

लेकिन बहुत इंतजार करने के बाद भी कोई नहीं आया.

फिर बस धीरे-धीरे थोड़ी खाली होने लगी तो मुझे एक सीट मिल गई, वहां पर मैं बैठ गई.
फिर मैं पूरे रास्ते इंतजार करती रही कि कोई तो पास आ जाए!
लेकिन कोई नहीं आया.

इंतजार करते-करते मेरा स्टाप आ गया और मैं उतर गई.

अब मैं अपने घर आ चुकी थी और आकर मैं थोड़ी देर सो गई क्योंकि मुझे पता था कि पूरी रात मुझे चुदाई करवानी है और वो चारों लड़के मुझे सोने नहीं देंगे.

मैं ऐसे ही कपड़े उतार कर नंगी बिस्तर पर लेट गई और सोने लगी.

शाम को करीब 7:30 बजे मेरी आंख खुली तो मैं ऐसे ही नंगी उठकर किचन में कुछ खाने के लिए चली गई.

मैंने अपने लिए कॉफी बनाई और सोफे पर ऐसे ही नंगी ही कॉफी पीने लगी.

8:00 बजे उठकर मैंने सोचा कि हमारे तैयार हो जाना चाहिए.

मैं जाकर बाथरूम में नहाने लगी मेरी चूत पर बहुत ही हल्के से बाल थे तो मैंने सोचा अपनी चूत को चिकनी कर लिया जाए.
मैंने अपनी चूत को चिकना कर लिया और शरीर पर जहां भी एक्स्ट्रा बाल थे वह सब हटा दिए और रगड़ रगड़ के अपनी चूत को साफ कर लिया.

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फिर मैं अपने कमरे में आ गई और तैयार होने लगी.
मैंने अपनी अलमारी से सफेद रंग की ब्रा पैंटी का सेट निकाल लिया जो कि बहुत ही सेक्सी था.

मैंने सफेद रंग की ही मिनी ड्रेस पहन ली जो सिर्फ मेरी जांघों तक मुश्किल ही आ रही थी.
फिर मैंने हल्का सा मेकअप किया और सोफे पर बैठ कर उन लोगों का इंतजार करने लगी.

तकरीबन 8:50 बजे उन लड़कों में से एक का फोन आया. वह मुझसे मेरा एड्रेस कंफर्म कर रहा था.
मैंने उनको अपना एड्रेस बता दिया और उनसे बोला कि कुछ खाने के लिए भी लेकर आना.

9:15 बजे के करीब मेरे दरवाजे पर घंटी बजी तो मैं समझ गई कि वे चारों आ चुके हैं.

मैंने जाकर दरवाजा खोला तो चारों मुझे ऊपर से नीचे तक ताड़ने लगे.
उन सबको ताड़ता हुआ देखकर मैं मुस्कुराने लगी और फिर उनसे बोली- बस ऐसे ही ताड़ते रहोगे या अंदर भी आओगे?

मैंने उन्हें अंदर लेकर बाहर चारों तरफ देखा कि किसी ने हमें देखा तो नहीं.
जब संतुष्टि हो गई तो मैंने अंदर आकर दरवाजा बंद कर लिया और इन चारों को बैठने के लिए बोला.

वो चारों सोफे पर बैठ गए और मुझे देखकर आहें भरने लगे.

मैं भी उनके पास जाकर अलग सोफे पर बैठ गयी और अब हम सब एक दूसरे को देखकर स्माइल करने लगे.

थोड़ी देर बाद मैंने उनसे पूछा- कुछ पीओगे?
तो वो बोले- जो भी आप प्यार से पिला दोगी, हम तो वो पी लेंगे.
मैंने मजाक में कहा- अच्छा अगर जहर दूंगी तो वो भी पी लोगे?
वो बोले- हां … मगर आपको चोदने के बाद!
और यह कहकर वो चारों जोर जोर से हंसने लगे.

फिर मैंने उनसे कहा- पहले अपने अपने नाम तो बता दो?
तो उन्होंने अपने नाम अमित, साहिल, राज और विशाल बताये.

चारों की उम्र 21 से 23 साल के बीच ही थी.

तभी मैं उन चारों के लिए कोल्ड ड्रिंक लेने रसोई में चली गई.

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