गरमा गरम सेक्स की स्टोरी एक शादीशुदा लड़की की है जो अपने शौहर की चुदाई से खुश नहीं है. उसने अपने पति के दोस्त को अपने जाल में फंसाया और …
कहानी के पिछले भाग
गर्म लड़की ने पड़ोसी को वासना का शिकार बनाया
में आपने पढ़ा कि
एक दिन रूपा के फ़्लैट की लाइट दिन में खराब हो गयी तो डॉक्टर साहब ने आफताब से कह दिया। आफताब डॉक्टर साहब के घर पहुँच गया।
आफताब ने लाइट ठीक की और रूपा के पास आया और बोला- आप बहुत खूबसूरत हैं।
रूपा ने निगाहें नीची कर लीं। उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था।
तभी डॉक्टर का फोन आया, बोले- आफताब को चाय नाश्ता करा कर ही भेजना।आफताब ने रूपा के हाथ पकड़ लिए।
अब आगे गरमा गरम सेक्स की स्टोरी:
रूपा कसमसाई- ये आप क्या कर रहे हैं?
आफताब ने उसे अपने आगोश में भींच लिया और बोला- आपकी आँखों को मैं पढ़ सकता हूँ। आपके दिल की धड़कनें मेरे को महसूस हो रही हैं। एक बार मेरे दिल की धड़कनें भी तो सुन लीजिये।
अब रूपा बेबस थी।
आफताब ने उसका चेहरा उठा कर उसके होंठ चूम लिए।
रूपा बेल की तरह उससे लिपट गयी।
उसे आफताब ने गोदी में उठाया, रूपा ने अपनी बाहें उसकी गर्दन में डाल दीं।
आफताब उसे चूमता हुआ बेड पर ले आया।
रूपा का बेटा साहिल बेड पर सो रहा था तो आफताब ने रूपा को नीचे उतारा और साथ ही उसके कपड़े उतारने शुरू किए।
रूपा ने बहुतेरा माना किया कि ये गलत है.
पर आफताब मुसकुराता हुए बोला- शायद कुदरत की यही मर्जी है।
दोनों नंगे हो गए।
रूपा ने शर्म से अपने हाथों से अपना चेहरा छिपा लिया.
पर आफताब ने प्यार से उसे फिर चूमा और उसके बदन पर चूमते हुए अपनी मुंह में उसके फूले फूले मम्मे ले लिए।
वो बहुत आहिस्ता आहिस्ता से अपनी जीभ उसके निप्पलों पर फिराता रहा और एक हाथ से उसने रूपा की चूत को सहलाना शुरू किया।
अब रूपा से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने सोते हुए साहिल को एक ओर सरकाया और आफताब को बेड पर आने का निमन्त्रण अपनी मुस्कुराहट से दिया।
आफताब ने बिना कोई जल्दी दिखाये रूपा के पूरे शरीर को चूमा। उसकी जीभ रूपा की चूत को गहराई तक चूम आई।
रूपा के गोरे गोरे मांसल मम्मे आफताब ने रगड़ रगड़ कर लाल कर दिये।
फिर जो वासना का तूफान उस कमरे में उठा वो आधे घंटे बाद ही थमा।
गज़ब की ताकत थी आफताब में!
रूपा की सही मायने में तो आज चुदाई हुई थी जिसमें वो पूरी तरह तृप्त हुई थी।
हालांकि आफताब ने उसके बहुत मना करने पर भी उसकी चूत को अपने माल से भर दिया था।
रूपा गर्भ के डर से सिहर गयी थी तो आफताब ने माफी मांगते हुए कहा कि वो उसे दवाई ला देगा।
आज रूपा ज़िंदगी में पहली बार एक ही वक़्त पर दो बार चुदी; दो बार फारिग हुई।
उसका मन कर रहा था कि कहे आफताब काश वक़्त यहीं ठहर जाये और तुम मुझे और चोदो और चोदो।
आफताब का लंड डॉक्टर से कहीं बड़ा और मोटा था, बमुश्किल रूपा उसे चूस पा रही थी।
और जितने माल से उसकी चूत की गोद भराई हुई थी, उतने माल से तो वो नहा भी सकती थी।
पूरी बेड शीट आफताब के तोहफे से सन गयी थी।
आफताब उसे चूमकर चला गया पर उसके जाने के बाद काफी देर तक रूपा ऐसे ही नंगी पड़ी रही।
आज वो पहली बार सही तरीके से चुदी थी।
थोड़ी देर में आफताब का फोन आया।
वो बोला कि पूरी कायनात में उसने रूपा-सा हसीन और गर्म जिस्म किसी का नहीं देखा। तमाम हूरें उसके सामने फेल। वो पता नहीं क्या क्या कहता रहा।
रात को वो बहुत खुश थी।
उसने आज पूरे मन से अपने को सजाया और डॉक्टर से खुशामद करके सेक्स किया।
अब सेक्स की उसकी हवस बढ़ती जा रही थी।
अगले दिन डॉक्टर के जाने के बाद उसने मनु को फोन किया.
वो यूनिवरसिटी में थी, उसका मेसेज आया कि वो दोपहर को बात करेगी।
तभी आफताब का फोन आ गया।
दोनों बहुत देर तक बात करते रहे।
आफताब आने की जिद कर रहा था।
रूपा ने मना कर दिया, बोली- किसी को शक हो जाएगा पड़ोस में!
अब आफताब खुशामदों पर आ गया कि रूपा उसके फ़्लैट पर आ जाये।
मन तो रूपा का भी था चुदाई का … उसने रजामंदी देते हुए कहा कि वो दो घंटे बाद आएगी।
रूपा ने फटाफट अपनी चूत के बाल और बगल के बाल साफ किए।
खूब मन से नहाई; पूरे जिस्म पर मादक इत्र लगाया।
एक अच्छा सा ब्रा फेंटी सेट पहन कर उसने सूट डाला और बुर्का पहन कर साहिल को लेकर बाजार के थैले लेकर निकल पड़ी।
उनमें उसने कुछ कपड़े ड्राइक्लीनिंग वाले रख लिए।
एक छोटा हैंड टॉवल वो रखना नहीं भूली।
बाहर से टैक्सी पकड़ कर वो सीधा आफताब के फ़्लैट पर पहुंची।
आफताब का फ़्लैट जिस टावर में था, उसमें रिहाइश कम लोगों की थी, अधिकतर फ़्लैट खाली थे, तो वहाँ भीड़ बिलकुल नहीं थी।
साहिल को गोद में लिए, बुर्का पहने रूपा धड़कते दिल के साथ घबराते हुए पर वासना की आग में जलती चूत को लिए आफताब के फ़्लैट पर पहुंची।
आफताब गेट पर ही खड़ा था।
उसने उसे तुरंत अंदर किया और गेट बंद कर लिया।
आफताब ने रूपा को जोरदार तरीके से चूमा और उसकी गोदी से सोते हुए साहिल को ले लिया और अंदर आहिस्ता से बेड पर लिटा दिया।
तब तक रूपा अपना बुर्का उतार चुकी थी।
आज वो गज़ब की सुंदर लग रही थी।
आफताब तो उसे देख साँस लेना भूल गया।
दोनों एसे चिपट गए जैसे बरसों के बिछड़े हों।
चूमचाटी की स्पीड इतनी थी कि मानो खा ही जाएँगे एक दूसरे को!
दो जिस्म एक दूसरे में समाने को बेताब थे।
आफताब ने पहले तो रूपा की कुर्ती निकाली और सलवार का नाड़ा ढीला कर उसे नीचे किया।
अब हुस्न की मलिका रूपा ब्रा फेंटी में हूर मानिंद लग रही थी।
शरमोहया औरत का गहना है।
पराये मर्द के सामने एसे अधनंगी खड़ी रूपा की निगाहें उठ भी नहीं रही थी।
आफ़ताब ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और आगे बढ़कर रूपा की ब्रा खोल कर उसके दूध जैसे उजले मम्मों को आज़ाद किया।
वह अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था कि ये हुस्न की मलिका कहाँ से उसके नसीब में आ गयी।
आफताब पिल गया उसके मम्मों पर!
रूपा कहती रही- ए जंगली, थोड़ा सब्र करो, मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ।
पर आफताब का लंड उसे मजबूर कर रहा था कि फटाफट ऊपर से निबट लो फिर मेरी बारात चढ़ाना।
रूपा को लंड की बेकरारी समझ आ रही थी।
वो आफताब से अपने को छुड़ाकर नीचे बैठ गयी और आफताब का लंड मुंह में ले लिया।
रूपा ने अपना खूब सारा थूक उसके लंड पर लगाया और दोनों हाथों से उसके लंड को मसलने लगी।
वो उसके सुपारे को उँगलियों से नचाने लगी और लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी।
आफताब तो जन्नत में पहुँच गया था।
लंड रगड़ाई का एसा दौर तो उसे पहली बार महसूस हो रहा था।
उसे लग रहा था कि आज ज़िंदगी में पहली बार वो किसी हसीना के हाथों में ख़लास हो जाएगा।
रूपा ने अपनी हथेलियों पर और थूक लगाया और स्पीड बढ़ा दी।
आफताब कहता रह गया कि मैं मर जाऊंगा, रहम करो छोड़ दो इसे!
पर रूपा ने उसे फारिग कर ही दिया।
आफताब ने एक फव्वारा छोड़ा और रूपा का पूरा चेहरा और हथेलियाँ उसकी मलाई से भर गईं।
रूपा ने अपने हाथों का वीर्य अपने मम्मों पर मल लिया और मुस्कुराती हुई विजयी की तरह खड़ी हुई।
अब रूपा ने बड़े नाजुक अंदाज में अपनी पेंटी उतारी और आफताब के बाल पकड़कर उसे नीचे झुका दिया मानो हुक्म दे रही हो कि चलो चूसो मेरी चूत … और हिम्मत है तो पानी निकाल के दिखाओ।
आफताब नीचे बैठ गया और रूपा ने अपनी टांगें थोड़ी खोलकर एक टांग उठा कर आफताब के कंधे पर रख दी।
रूपा ने अपने दोनों हाथों से आफताब के बाल पकड़े हुए थे ताकि वो गिर न जाये और आफताब पूरे मनोयोग से उसकी चूत चाटने में व्यस्त था।
आफताब ने पूरी जीभ और दो उँगलियाँ रूपा की चूत में घुसा रखीं थीं।
रूपा कसमसा रही थी और हिल रही थी।
आफताब ने भी कसम उठा ली थी कि रूपा का पानी निकालना ही है।
रूपा आहें भरती हुई बोली- आफताब, मुझे एक मिनट के लिए छोड़ो, मुझे वाशरूम जाना है।
पर आफताब उसे छोड़ने को तयार नहीं था, बोला- तुम्हें जो करना है यहीं कर लो, मेरे मुंह में ही कर लो।
रूपा ने कहा- बहुत ज़ोर से आ रही है, छोड़ो न …
पर आफताब ने अपनी जीभ और अंदर कर दी।
रूपा से भी अब बर्दाश्त नहीं हुआ … पेशाब की एक मोटी धार आफताब के चेहरे से होती हुई नीचे फर्श पर गिरने लगी।
वैसे तो ये गंदगी की इंतिहा थी पर सेक्स में सब जायज है।
अब आफताब ने रूपा को गोदी में उठा लिया और बेडरूम में बेड पर ले जाकर लिटाया।
उसका लंड दोबारा खड़ा हो चुका था।
रूपा को भी किसी मर्द के ऊपर पेशाब करने का मौका ज़िंदगी में पहली बार मिला था।
इसे प्रेमियों की भाषा में गोल्डन शावर कहते हैं।
ऐसा उसने पॉर्न मूवी में तो देखा था … पर उसे करने को मिलेगा ऐसा वो अपने डॉक्टर शौहर के साथ तो सोच भी नहीं सकती थी।
रूपा ने मुस्कुराते हुए अपनी बाहें फैला दी और टांगें चौड़ा दीं।
आफताब ने उसकी बांहों में समाते हुए अपना लंड उसकी चूत में समा दिया।
रूपा की एक बार को आँखें निकल आयीं।
मूसल जैसा लंड बिना किसी चेतावनी के धड़धड़ाता हुआ जब किसी की चूत में घुसेगा तो जान तो निकाल ही जाएगी बेचारी की!
आफताब ने रूपा के टखनों को पकड़ कर नीचे खड़े होकर पूरी दमखम से रूपा की चुदाई शुरू की।
रूपा चिल्ला रही थी- हायल्ला … मर जाऊँगी मैं … आज तो मेरी चूत को फाड़ कर ही मानोगे … रंडी बना लो अब तो मुझे अपनी! मेरी हीरो मजा आ गया … आज तुमने रूपा की चूत को अपने लंड की लौंडिया बना लिया.
घमासान चुदाई में आफताब ने रूपा की पोजीशन को तीन बार बदला।
आज पहली बार रूपा की गांड में भी लंड गया।
हालांकि आफताब ने ढेर सारी वेसलीन लगा दी थी रूपा की गांड पर फिर भी रूपा की जान ही निकाल गयी थी लंड पीछे लेने में!
पर आफताब आज उसे जन्नत की सैर करा कर ही माना।
आधा घंटे की गरमा गरम सेक्स धकापेल में रूपा थक कर चूर हो गयी।
आफताब रूपा को गोदी में उठाकर वाशरूम में ले गया और शावर खोल कर उसे गोदी में लेकर खड़ा हो गया।
घर वापिस आकर रूपा थक कर सो गयी।
गरमा गरम सेक्स की स्टोरी में आपको मजा आया? मुझे मेल से और कमेंट्स में अवश्य बताएं.
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गरमा गरम सेक्स की स्टोरी का अगला भाग: देसी हॉट गर्ल सेक्स कहानी